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कही सुनी पे बहुत एतबार करने लगे / वसीम बरेलवी
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20:56, 23 जून 2009
<poem>
कही
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सुनी पे बहुत एतबार करने लगे
मेरे ही लोग मुझे संगसार करने लगे
हेमंत जोशी
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