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बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे / ग़ालिब
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,
12:24, 6 जुलाई 2009
<poem>
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल<ref>
बच्चों
बच्चो के खेलने
का
खेल
मैदान
</ref>है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
Akashganga
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