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शिशिर में भवाली / रमेश कौशिक
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15:29, 22 जुलाई 2009
नभ से उतर कर आयेगी
:::शिखर के कंगूरों
::
:::तरुवरों
:::घर की छतों पर
:
:::कड़े सुखाएगी
</poem>
अनिल जनविजय
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