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तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
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15:05, 28 जुलाई 2009
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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
मगर कुछ अपने भी प्यार के गम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
Pratishtha
KKSahayogi,
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