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नाम बच्चो के सही उनकी अमानत कीजिए
जाहिलों की जात न वहशी हिकारत दीजिए

इस गज़ब की भीड के डर से न आए जानवर
आदमी को आदमी ही से हिफाज़त दीजिए

है नये चारागरों की देखनी फितरत ज़रा
और आलों से बीमारों की हरारत लीजिए

है भरा मेला यहाँ दादागिरी चलती नहीं
मन किसी का भांप करके ही शरारत कीजिए

काटना जिस फस्ल का इंसान पर भारी पड़े
मज़हबों के नाम पर मत ये बग़ावत कीजिए

आँगनों में तब रहेगी सप्तरंगी रौनक
पंछियों के आबोदाने की वकालत कीजिए

द्वार घर के अलसुबह ही खोल जो सकते नहीं
तो न चिड़ियों के बसेरों को हिफाज़त दीजिए

बाँटिये मत मज़हब फिरकों में अब इनसान को
प्रेम से इन्सां रहे ऐसी इबादत दीजिए
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