949 bytes added,
04:24, 1 अगस्त 2009 दिल को सुकून दीदा-ए-तर ने नहीं दिया
ज़ख़्मों को नम हवाओं ने भरने नहीं दिया
दामन पे आँसुओं को बिखरने नहीं दिया
दरिया को साहिलों से उभरने नहीं दिया
हमने ग़मों के साथ गुज़ारी है ज़िन्दगी
मंज़र कोई ख़ुशी का नज़र ने नहीं दिया
ये और बात मिल गई मंज़िल हमें मगर
मंज़िल का नक्श राहगुज़र ने नहीं दिया
तूफ़ाँ तो बरख़िलाफ़ था उसका गिला नहीं
मौजों ने भी तो मुझको उभरने नहीं दिया