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इस एक बूंद / महादेवी वर्मा
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01:56, 23 सितम्बर 2006
चाहे साम्राज्य बहा दो
वरदानों की
वषार्
वर्षा
से
यह
सूनापन
सूना पन
बिखरा दो
इच्छाओं की कंपन से
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Mahashakti