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{{KKRachna
|रचनाकार=मुनव्वर राना|संग्रह= घर अकेला हो गया / मुनव्वर राना}} [[Category:ग़ज़ल]]<poem>
मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है
तवायफ़ की तरह अपने ग़लत कामों के चेहरे पर
हकूमत मन्दिरोहुकूमत मंदिरों-मस्जिद का पर्दा डाल देती है
हकूमत हुकूमत मुँह-भराई के हुनर से ख़ूब वाक़िफ़ है
ये हर कुत्ते आगे शाही टुकड़ा डाल देती है