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|रचनाकार=यश मालवीयजयशंकर प्रसाद
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<poem>
कानन-कुसुम -
शिल्पपूर्ण पत्थर कब मिट्टी हो गये
किस मिट्टी की ईटे है बिखरी हुई</poem>
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