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उठ चल मेरे मन / शार्दुला नोगजा
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16:26, 11 अगस्त 2009
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
}}
<poem>हो विलग सबसे, अकेला चल पड़ा तू एक अपनी ही नयी दुनिया बसाने
तूफ़ान निर्मम रास्ते के शीर्य तुझ को
मन! ना घबरा, गीत जय के गुनगुना ले !
Pratishtha
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