थाल पूजा का सजा, धो कर रखी सब भावनायें
नववधू की हिचिचाहटहिचकिचाहट, शिशु देखती माँ की ललक भी,
संस्कारों में रंगी हल्दी, सुपारी और मेंहदी,
ज्ञान के कुछ श्वेत चावल, प्रीति का अरुणिम तिलक भी।
और दीपक आस के, विश्वास के मन में जला कर
आज स्वागत कर रही हूँ द्वार पर जा कर उषा के,
मधुरिमा मधु-मिलन मंगल, मांगलिक मानस में मेरे