गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उठ चल मेरे मन / शार्दुला नोगजा
3 bytes added
,
01:12, 12 अगस्त 2009
खींचे अगर रंगीनियाँ तुझको चमन की
एक मुठ्ठी
धर
धरा
, एक टुकड़ा गगन का
एक दीपक की अगन भर ताप निश्छल
नेह जल बन उमड़ता हिय में, दृगों में
Shar
14
edits