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उन्हें एतराज है / नोमान शौक़

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|रचनाकार=नोमान शौक़
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<poem>
वे कहते हैं
वसंत रुक क्यों नहीं जाता
उनके गमले में उगे पौधों पर
ठहर क्यों नहीं जाता
हमेशा के लिए पानी
गाँव के तालाब में
धरती पर गिर कर
क्यों खाद में तब्दील हो जाते हैं
पलाश के फूल
क्यों छोड़ जाती हैं
अमावस के पदचिन्ह
चांदनी रातें उनकी खिड़कियों पर
सुरा और सुन्दरी के बीच रहकर भी
क्यों बूढे हो जाते हैं वे
उन्हें ऐतराज़ है !
वे कहते हैं<br />वसंत रुक क्यों नहीं जाता<br />उनके गमले में उगे पौधों पर<br />ठहर क्यों नहीं जाता<br />हमेशा के लिए पानी<br />गाँव के तालाब में<br />धरती पर गिर कर<br />क्यों खाद में तब्दील हो जाते हैं<br />पलाश के फूल<br />क्यों छोड़ जाती हैं<br />अमावस के पदचिन्ह<br />चांदनी रातें उनकी खिड़कियों पर<br />सुरा और सुन्दरी के बीच रहकर भी <br />क्यों बूढे हो जाते हैं वे<br />उन्हें ऐतराज़ है !<br /> उन्हें ऐतराज़ है <br />
आख़िर घूमती क्यों है पृथ्वी !
</poem>
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