गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
भर रही अंग में थी अनंग-मद सिहर लहर पुरवईया की / प्रेम नारायण 'पंकिल'
101 bytes added
,
12:38, 16 अगस्त 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
|संग्रह=
बावरिया बरसाने वाली /प्रेम नारायण 'पंकिल'
}}
[[Category:
कविता
छंद
]]
<poem>
भर रही अंग में थी अनंग-मद सिहर लहर पुरवईया की।
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits