Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
|संग्रह=बावरिया बरसाने वाली /प्रेम नारायण 'पंकिल'
}}
[[Category:कविताछंद]]
<poem>
 
कहते थे "मौन उषा गवाक्ष से प्राण! झांकता सविता हो।
परिरंभण-व्याकुल युगल बाहु की अथवा तन्मय कविता हो।
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits