गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तुलसीदास के दोहे / तुलसीदास
207 bytes added
,
00:09, 7 फ़रवरी 2008
होई कपूत सपूत के ज्यों पावक मैं धूम!!
जड़ चेतन गुन दोषमय विश्व कीन्ह करतार!
संत हंस गुन गहहीं पथ परिहरी बारी निकारी!!
Anonymous user
Adiya