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ज़ात हंसों के कुल और पलटु / ओमप्रकाश सारस्वत
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18:25, 21 अगस्त 2009
{{KKRachna
| रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
| संग्रह=शब्दों के सम्पुट में /
ओम प्रकाश
ओमप्रकाश
सारस्वत
}}
<poem>आखिर तुम मेरी जात
प्रकाश बादल
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