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20:56, 22 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=सिंदूरी साँझ और ख़ामोश आदमी / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>बहुत कठिन है
अस्पताल में अकेला होना।
कुछ क्षणों में
कुछ जगहों में
चाहता है आदमी साथ
अस्पताल उनमें एक हैं।</poem>