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गये दिनों का सुराग़ लेकर / नासिर काज़मी
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09:46, 27 अगस्त 2009
तेरी गली से न जाने क्यूँ आज सर झुकाये गुज़र गया वो <br><br>
वो हिज्र कि रात का
सितार
सितारा
वो हमनफ़स हमसुख़न हमारा <br>
सदा रहे उस का नाम प्यारा सुना है कल रात मर गया वो <br><br>
Sumitrxz
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