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12:38, 28 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सत्यपाल सहगल
|संग्रह=कई चीज़ें / सत्यपाल सहगल
}}
<poem>तुम्हारी स्मृति रहेगी सिर्फ एक स्त्री की तरह
अगले आठ या दस हज़ार दिन
एक चेहरा सामने रहेगा
यो जुड़ता जाएगा
दूसरी जगहों से बीनी गई चीज़ों के साथ
एक दिन इस चेहरे की उम्र समाप्त होगी
एक दिन यह सम्पत्ति भी गल जायेगी
</poem>