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अस्वीकरण
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क़दम उसी मोड़ पर जमे हैं / गुलज़ार
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,
14:56, 7 अप्रैल 2008
मुझे तक़ाज़ा है वो बुला ले <br>
क़दम उसी मोड़ पर जमे हैं <br>
नज़र
समेते
समेटे
हुए खड़ा हूँ <br><br>
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