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सावन के सहनइया / मगही
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08:44, 31 अगस्त 2009
<poem>
सावन के सहनइया भदोइया के किचकिच हे,
सुगा-सुगइया के पेट, वेदन कोई न
जानये
जानय
हे।
सुगा-सुगइया के पेट, कोइली दुःख
जानये
जानय
हे,
एतना वचन जब सुनलन, सुनहूँ न पयलन हे।
Ravikant
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