गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
राम की शक्ति पूजा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
3 bytes removed
,
19:59, 26 नवम्बर 2007
श्लथ धनु-गुण है, कटिबन्ध स्रस्त तूणीर-धरण,<br>
दृढ़ जटा - मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल<br>
फैला पृष्ठ पर, बाहुओं पर,
वृक्ष
वक्ष
पर, विपुल<br>
उतरा ज्यों दुर्गम पर्वत पर नैशान्धकार<br>
चमकतीं दूर ताराएं ज्यों हों कहीं पार।<br><br>
Anonymous user
59.95.98.54