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पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त / पृष्ठ १
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बना दृष्टिगत होता है।
किस व्रत में है व्रती वीर यह,
निद्रा का यों त्याग किये।
राज्यभोग के योग्य विपिन में,
बैता आज विराग लिये।
बना हुआ है प्रहरी जिसका,
उस कुटीर में क्या धन है।
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