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मधुशाला / भाग २ / हरिवंशराय बच्चन
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11:55, 7 सितम्बर 2009
बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला,<br>
पी लेने पर तो उसके
मँह
मुँह
पर पड़ जाएगा ताला,<br>
दास द्रोहियों दोनों में है जीत सुरा की, प्याले की,<br>
विश्वविजयिनी बनकर जग में आई मेरी मधुशाला।।२४।<br><br>
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