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ॐ जय जगदीश हरे / आरती

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विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।<br>
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥
 
तन-मन-धन सब है तेरा ।<br>
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥
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