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12:18, 12 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>अभी-अभी
महामहिम ने
संस्कृति उगली
कवि ने
आगे बढ़कर
उसे रुमाल पर लिया
और तुकबन्दी के पीकदान में
सहेज लिया
शब्द हे !
क्या तुम सचमुच ढल गये
एक बार
फि---र
हमें छल गये।</poem>