Changes

सिन्दबाद : दो / अवतार एनगिल

1,774 bytes added, 12:25, 12 सितम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल }} <poem>...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>दुःख की धार पर चलता
बह तेज़ धूप की तरह आया
और सारे कर्ज़ चुकाकर
बन बैठा--बड़ा सौदागर।

परिवर्तित हो गईं
नन्हीं नौकाएं
विशाल जलपोतों में
शामिल हो गईं
एक मासूम चिड़िया
रुकें पक्षी के
सक्षम उड़ान संग।
धरती से---सागर से---आकाश तक
रास्ते बनाता
फिर भी, गर्दिश-दर-गर्दिश
धरती पर वापस आता......
अपने शहर की पुरानी गलियों में
अपना गुमशुदा वजूद तलाशता ।
अंततः असफल होकर
दासों के अपार श्रम को
पूंजी में परिवर्तित करता
सत्ता के तिलिस्म रचता
कामनाओं के द्वार खोलता
सौन्दर्य को स्वर्ण मुद्राओं से तोलता
सुरा-स्नान करता रसिक
लिपटाने लिहाफों में लौटता
फानूसों की जगमग रोशनी तले :
नर्म गलीचों पर भी
करता है-----
यात्रा ! यात्रा ! यात्रा !
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits