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वो अपने चेहरे में सौ अफ़ताब रखते हैं / हसरत जयपुरी
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12:49, 13 सितम्बर 2009
}}
वो अपने चेहरे में सौ अफ़ताब रखते हैं <br>
इस लिये
इसीलिये
तो वो रुख़ पे नक़ाब रखते हैं <br><br>
वो पास बैठे तो आती है
दिलबरुबा
दिलरुबा
ख़ुश्बू <br>
वो अपने होठों पे खिलते गुलाब रखते हैं <br><br>
हेमंत जोशी
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