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बंजारानामा / नज़ीर अकबराबादी

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क्या बधिया, भैंसा, बैल, शुतुर<ref>ऊंट</ref> क्या गौनें पल्ला सर भारा
क्या गेहूं, चावल, मोठ, मटर, क्या आग, धुआं और अंगारा
:सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
ग़र तू है लक्खी बंजारा और खेप भी तेरी भारी है
क्या शक्कर, मिसरी, क़ंद<ref>खांड</ref>, गरी क्या सांभर मीठा-खारी है
क्या दाख़, मुनक़्क़ा, सोंठ, मिरच क्या केसर, लौंग, सुपारी है
:सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
तू बधिया लादे बैल भरे जो पूरब पच्छिम जावेगा
क़ज़्ज़ाक़ अजल का रस्ते में जब भाला मार गिरावेगा
धन-दौलत नाती-पोता क्या इक कुनबा काम न आवेगा
:सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
</poem>
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