Changes

|संग्रह=अंगारों पर नंगे पाँव / माधव कौशिक
}}
<poem>क्या बताऊँ दरम्यां अब फासला कोई नहीं।
सामने मंज़िल है लेकिन रास्ता कोई नहीं।
Mover, Uploader
2,672
edits