859 bytes added,
17:42, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>दो अलग रंग .....
'''१'''
एक मृगतृष्णा
एक प्यास..
को जीया है
मैंने तेरे नाम से
दुआ न देना
अब मुझे..
लम्बी उम्र की
और ..........
न दुबारा...
जीने को कहना
'''२'''
बंधने लगा
बाहों का बंधन..
मधुमास-सा
हर लम्हा हुआ..
तन डोलने लगा
सावन के झूले-सा..
मन फूलों का
आंगन हुआ..
जब से नाम आया
तेरा मेरे अधरों पर
अंग-अंग चंदन वन हुआ |
</poem>