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18:20, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>खिले पुष्प सी
गंध की तरह ..
शंख ध्वनि की
गूंज सी ..
पहुँच रही हूँ
मैं ...
तुम तक
अपने ही...
कुछ कहते हुए
लफ्जों में
या.....
अन्तराल की
बहती खामोशी में ....!
>>>>>>><<<<<<<
चलो इसी पल
सिर्फ़ इसी क्षण
हम उतार दे
हर मुखौटे
और हर
बीते हुए
समय को
और
वर्तमान बन जाए
इसी पल
सिर्फ़ इसी पल .....
</poem>