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आओ खेलें होली / रंजना भाटिया

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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
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<poem>मस्त बयार बहे
रंगों की बौछार चले
रंगे सब तन मन
चढ़े अब फागुनी रंग
कान्हा की बांसुरी संग
भीगे तपते मन की रंगोली
आओ खेले होली ......

टूट जाए हर बन्ध
शब्दों का रचे छंद
महके महुआ की गंध
छलके फ्लाश रंग
मिटे हर दिल की दूरी
आओ खेले होली ......

बहक जाए हर धड़कन
खनक जाए हर कंगन
बचपन का फिर हो संग
हर तरफ छाए रास रंग
ऐसी सजे फिर
मस्तानों की टोली
आओ खेले होली .....

कान्हा का रास रसे
राधा सी प्रीत सजे
नयनो से हो बात अनबोली
आओ खेले होली ....
</poem>
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