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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>
'''1'''
मुस्कान..
जैसे..
तपते मरुथल मन
पर घिरती
शीतल सी छाया !

'''2'''
मुस्कान..
जैसे..
नवजात की पहली
दंत पंक्ति

'''3'''
मुस्कान..
जैसे..
बिन कहे ही
कह दी हो
सब बात ...

'''4'''
मुस्कान ...
जैसे ....
पतझड़ के बाद
खिले वसन्त
</poem>
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