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स्वप्न था मेरा भयंकर / हरिवंशराय बच्चन
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21:49, 15 जुलाई 2008
रात का-सा था अंधेरा,<br>
बदलों
बादलों
का था न डेरा,<br>
किन्तु फिर भी चन्द्र-तारों से हुआ था हीन अम्बर!<br>
स्वप्न था मेरा भयंकर!<br><br>
अनिल जनविजय
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