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20:41, 18 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>ज़िंदगी भर जो होता साथ हमारा
तो मेरा दिल यूँ ना होता बंजारा
यूँ ही राहो मैं ना भटकता यह मन
ना ही अंगो में दहकता यूँ फ्लाश वन
यूँ ही अपने आँसू हम ख़ुद ना पीते
प्यासी इन चाहतो के सपने यूँ धुआँ ना होते
ज़िंदगी भर का जो होता साथ हमारा
तो पथरीली राहो का सफ़र भी होता प्यारा
तब ज़िंदगी की सुलगती धूप भी चाँदनी लगती
हँसने वाली मुस्कारहट, यूँ रूलाने ना लगती
बस प्यार ही प्यार का होता नज़ारा
जीवन भर को मिल जाता जीने का सहारा
ज़िंदगी भर जो होता साथ हमारा
तो मेरा दिल यूँ ना होता </poem>