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बैठे हैं दो टीलें / नरेश सक्सेना
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,
14:19, 21 सितम्बर 2009
<poem>
:तनिक देर और आसपास रहें
:
::चुप रहें, उदास रहें,
जाने फिर कैसी हो जाए यह शाम।
:डूब रहा सभी कुछ अन्धेरे में
:
::चुप्पी के घेरे में
पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला कुहराम।
</poem>
अनिल जनविजय
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