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क्षतशीश मगर नतशीश नहीं / हरिवंशराय बच्चन
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13:44, 26 सितम्बर 2009
दुनिया ने भी जाना है जब,
निज हाथ-
हाौड़े
हथौड़े
से मैंने निज वक्षस्थल पर चोट सही!
क्षतशीश मगर नतशीश नहीं!
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