Changes

उसे लुटाता आया मग में,
दीनों का मैं वेश किए, पा पर दीन नहीं हँ, दाता हूँ मैं!
अग्नि देश से आता हूँ मैं!
तुमनेअपने तुमने अपने कर फैलाए,
लेकिन देर बड़ी कर आए,
कंचन तो लुट चुका, पथिक, अब लूटो राख लुटाता हूँ मैं!
अग्नि देश से आता हूँ मैं!
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits