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आस्था-3 / राजीव रंजन प्रसाद

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'''आस्था -३'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<br /poem> सपना ही तो टूटा है<br />मौत ही तो आई है मुझे<br />जी नहीं पाओगे तुम लेकिन<br />इतनी तो आस्था है तुम्हे<br />मुझपर..<br /poem>
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