|संग्रह=आकुल अंतर / हरिवंशराय बच्चन
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काल क्रम से-
जीवन में जो कुछ बचता है,
उसका भी कुछ है कुछ आकर्षण।
जीवन में जो कुछ बचता है,
उसका भी कुछ है कुछ आकर्षण।
जीवन में जो कुछ बचता है,
उसका भी कुछ है कुछ आकर्षण।
कालक्रम से, नियति-नियति से,
आत्म भ्रम से,
रह न गया जो, मिल न सका जो,