गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लहरों में साथ रहे कोई / त्रिलोचन
22 bytes added
,
15:06, 4 अक्टूबर 2009
|संग्रह=ताप के ताये हुए दिन / त्रिलोचन
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
बाँह गहे कोई
अपरिचय के
सागर में
दृष्टि को पकड़ कर
कुछ बात कहे कोई ।
लहरें ये
लहरें वे
इनमें ठहराव कहाँ
पल
दो पल
लहरों के साथ रहे कोई ।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits