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यक्ष प्रश्न / प्रताप सहगल
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14:09, 10 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=प्रताप सहगल
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{{KKCatKavita}}
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अंधेरा
अन्धेरा
जब
अंधेरे
अन्धेरे
में ही लिपटा हो
और हमें सूर्य की कल्पना से भी
महरूम कर दिया जाए
अनिल जनविजय
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