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|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
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<poem>
क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।
क्षमा करो बापू! तुम हमको,<br>बचन भंग के हम अपराधी,<br>राजघाट को किया अपावन,<br>मंज़िल भूले, यात्रा आधी।<br><br> जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,<br>टूटे सपनों को जोड़ेंगे।<br>चिताभस्म की चिंगारी से,<br>
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।
</poem>
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