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सदस्य वार्ता:अनिल जनविजय

167 bytes added, 14:55, 19 अक्टूबर 2009
जनविजय जी! मैं सूरदास के पदों को पढ़ रहा था तो मैंने पाया कि कविता वाले पन्ने में ही कविता का भावार्थ भी लिखा हुआ है। मेरे विचार में कविता के ’भावार्थ’ का पन्ना अलग से होना चाहिए या फिर ’संवाद’ वाले पन्ने में भावार्थ होना चाहिए। । कविता के साथ भावार्थ थोड़ा अटपटा सा लगता है। आपके विचार जानना चाहूँगा। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
 
मैं सहमत हूँ जनविजय जी। धन्यवाद। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
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