आपका ये नया अकाउंट बनाने की वजह क्या आपके देवनागरी में दस्तख़त करने का इरादा तो नहीं? मैंने देखा है कि कभी आप दस्तख़त नहीं करते, और अपने नाम के लिंक और समय ख़ुद ही लिखते हैं। <nowiki>~~~~</nowiki> ये चार बार ~ आप अपने संदेशों में अंत में लिख देंगे तो आपके परिचय वाले पन्ने का लिंक और यूटीसी (=जीऐमटी=भारत-5:30=रूस-3:00) में समय आता है। पुराने वाले अकाउंट में जाकर, अब आप हिंदी में दस्तख़त करना चाहते हैं तो my prference-->सदस्य व्यक्तिरेखा-->कच्चा दस्तख़त में, अगर आप विकिपीडिया जैसे दस्तख़त चाहते हैं तो <nowiki>[[सदस्य:Anil janvijay|अनिल जनविजय]]([[सदस्य वार्ता:Anil janvijay|वार्ता]])</nowiki> भर दें, या इसके जैसा कोई लिंक भर दें।[[सदस्य:Sumitkumar kataria|सुमितकुमार कटारिया]]([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) १२:३८, १ जुलाई २००८ (UTC)
जनविजय जी महादेवी जी की जो कवितायें मैंने उनके मुखपॄष्ट से हटाईं थी वे ’नीहार’संग्रह का भाग हैं। जिसे मैं टाइप कर रहा हूँ। उन्हें दुबारा मुखपृष्ठ पर ड़ालने का क्या कारण है।
-धर्मेन्द्र कुमार सिंह
जनविजय जी! मैंने नीहार संग्रह पूर्ण कर दिया है। कृपया सक्रिय प्रोजेक्टस की सूची के ’भविष्य की योजनायें’ से ’नीहार’ हटा दें। ताकि कोई और फिर से इसका टंकण न करे। धन्यवाद
-[[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
बच्चन जी के संग्रह ’एकांत संगीत’ की बाकी रचनाऐं टंकित करने जा रहा हूँ। पहले से टंकित रचनाओं में जो अशुद्धियाँ हैं उनको भी सुधार दूँगा। सादर
- [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
== कविता कोश में वार्तालाप ==
नमस्कार,
--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] १६:०६, २६ सितम्बर २००९ (UTC)
जनविजय जी! मैंने बच्चन जी के संग्रह ’एकांत-संगीत’ का टंकन पूरा कर लिया है अब आकुल अंतर की रचनाएँ टंकित करने जा रहा हूँ। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! मैंने बच्चन जी के संग्रह ’आकुल-अंतर’ का टंकण पूरा कर लिया है अब ’निशा-निमंत्रण’ की रचनाएँ टंकित करने जा रहा हूँ। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
मेरी भूल की तरफ ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। आगे से ज्यादा सावधान रहूँगा । बाकी काम तो मैं भी करता हूँ। अन्तर इतना है कि मेरे पास २४ घंटे असीमित इन्टरनेट है सो जब काम से बोर हो जाता हूँ तो कविता टंकित कर लेता हूँ। बाकी टंकण करना मैंने सीख रखा है। तो मुझे एक कविता टंकित करने में तीन से चार मिनट लगते हैं। इतना अन्तर है कि काम अंग्रेजी में करना पडता है और कविता हिन्दी में टंकित करनी पडती है। निशा-निमंत्रण की जो प्रति मेरे पास है वह पानी में भीग गई थी। तो बीच में कुछ अक्षर मुझे अन्दाजे से लिखने पड़े हैं। आपने चौपाल में लिखा था कि आपके पास बच्चन जी का सारा काव्य है तो अगर समय मिले तो एक बार पढ लीजिएगा। एक बार पुनः धन्यवाद। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
बिल्कुल ठीक रहेगा जनविजय जी। आपने तो मेरे मन की बात कह दी। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! मैंने बच्चन जी के संग्रह ’निशा-निमंत्रण’ का टंकण पूरा कर लिया है। आप अपनी सुविधानुसार अशुद्धियाँ दूर कर दीजिएगा। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! आप अपनी सुविधानुसार कीजिए। मैं ’माखनलाल चतुर्वेदी’ जी के संग्रह ’हिम तरंगिनी’ का टंकण करने जा रहा हूँ। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! मैंने ’माखनलाल चतुर्वेदी’ जी के संग्रह ’हिम तरंगिनी’ का टंकण पूरा कर लिया है। अब ’निराला’जी की ’अनामिका’ टंकित करने जा रहा हूँ। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! अगर एक कविता दो संग्रहों में हो तो क्या करेंगें। मैंने एक जुगाड़ तो किया है। देखें [[प्रेयसी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]]। पर एक अच्छा समाधान होना चाहिए इस समस्या का। कृपया सहायता करें। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
धन्यवाद, जनविजय जी। - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! मैंने ’निराला’ जी के संग्रह ’अनामिका’ का टंकण पूरा कर लिया है। अब ’निराला’जी की ’अर्चना’ टंकित करने जा रहा हूँ। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
जनविजय जी! मैं सूरदास के पदों को पढ़ रहा था तो मैंने पाया कि कविता वाले पन्ने में ही कविता का भावार्थ भी लिखा हुआ है। मेरे विचार में कविता के ’भावार्थ’ का पन्ना अलग से होना चाहिए या फिर ’संवाद’ वाले पन्ने में भावार्थ होना चाहिए। । कविता के साथ भावार्थ थोड़ा अटपटा सा लगता है। आपके विचार जानना चाहूँगा। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
मैं सहमत हूँ जनविजय जी। धन्यवाद। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
== एक रचना एक से अधिक संग्रहों में... ==