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किधर गई बातें / अशोक चक्रधर

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|रचनाकार=अशोक चक्रधर
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चलती रहीं
 
चलती रहीं
 
चलती रहीं बातें
 
यहाँ की, वहाँ की
 
इधर की, उधर की
 
इसकी, उसकी
 
जने किस-किस की,
 
कि
 
एकएक
 
सिर्फ़ उसकी आँखों को देखा मैंने
 
उसने देखा मेरा देखना ।
 
और... तो फिर...
 
किधर गईं बातें,
 
कहाँ गईं बातें ?
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