Changes

फिर कभी / अशोक चक्रधर

22 bytes added, 04:21, 28 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=अशोक चक्रधर
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
एक गुमसुम मैना है
 
अकेले में गाती है
 
राग बागेश्री ।
 
तोता उससे कहे
 
कुछ सुनाओ तो ज़रा
 
तो
 
चोंच चढ़ाकर कहती है
 
फिर कभी गाऊँगी जी ।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits