Changes

स्नेह-रीति / सियाराम शरण गुप्त

769 bytes added, 02:29, 29 अक्टूबर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सियाराम शरण गुप्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>"दीप, तू जा…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सियाराम शरण गुप्त
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>"दीप, तू जागृत रहा है रात भर
और मैं बेसुध पड़ा सोता रहा।
हाय, अत्याचार यह निज गात पर,
स्नेह - सह तू प्रज्ज्वलित होता रहा।"

"प्रज्वलित होता रहा, अच्छा हुआ,"
दीप बोला - "जागना मेरा सफल।
अब सुजागृति नें तुझे आ कर छुआ,
पा सकूँगा सुप्ति-सुख मैं भी विमल!"</poem>
750
edits